होली के बाद अब अगले कई दिन दिल्ली, मुंबई की राह आसान नहीं है। इन दोनों ही रूट पर जाने वाली सभी प्रमुख ट्रेनों में अगले कई दिन लंबी प्रतीक्षा सूची है। दिल्ली की ही बात करें तो इस रूट की सभी प्रमुख ट्रेनें 25 मार्च तक फुल हैं, जबकि मुंबई, पुणे एवं दक्षिण भारत की तरफ जाने वाली ट्रेनों में इस माह कंफर्म बर्थ ही उपलब्ध नहीं है। कमोवेश यही स्थिति स्पेशल ट्रेनों की भी हो गई है। ऐसे में अब जिन लोगों को वापसी करनी है वह परेशान है कि वह अपने गंतव्य तक कैसे पहुंचे। अब राजापुर के मनीष गुप्ता का ही उदाहरण लें, वह होली के मौके पर मुंबई से प्रयागराज तो आ गए लेकिन अब वह वापस नहीं जा पा रहे हैं। बीते दो दिन से वह तत्काल टिकट के लिए जोर आजमाइश कर रहे हैं लेकिन उन्हें कंफर्म बर्थ नहीं मिल पा रही है। इसी तरह सोमवार की सुबह रामबाग स्टेशन पहुंचे लाउदर रोड के अमित श्रीवास्तव ने बताया कि उन्हें पुणे जाना है और वह शनिवार से ही तत्काल टिकट के लिए प्रयास कर रहे हैं, लेकिन जब तक उनका नंबर आता है तब तक संबंधित ट्रेन में प्रतीक्षा सूची हो जाती है। वहीं दूसरी ओर रेलवे द्वारा होली को लेकर तकरीबन 50 स्पेशल ट्रेनों को चलाया जा रहा है लेकिन इन सभी ट्रेनों में अगले कई दिन किसी भी श्रेणी में कंफर्म बर्थ उपलब्ध नहीं है। हमसफर में प्रतीक्षा सूची 108 तक पहुंची
उधर सोमवार को भी प्रयागराज से विभिन्न शहरों की ओर जाने वाली ट्रेनों में लंबी प्रतीक्षा सूची रही। प्रयागराज से आनंद विहार जाने वाली हमसफर के थर्ड एसी एवं स्लीपर श्रेणी में प्रतीक्षा सूची 108 तक पहुंच गई। इसी तरह शिवगंगा के एसी फर्स्ट के अलावा अन्य सभी श्रेणियों में नो रूम रहा। वहीं प्रयागराज के स्लीपर में सोमवार को 156, थर्ड एसी में 125, एसी टू में 85 एवं एसी फर्स्ट में प्रतीक्षा सूची 13 रही।
वहीं दूसरी ओर यूपी रोडवेज की बात करें तो रविवार के मुकाबले सोमवार को यात्रियों की आवाजाही कुछ कम तो रही, लेकिन तमाम रूटों पर जाने वाली बसों में भीड़ बरकरार रही। सोमवार को भी लखनऊ, अयोध्या एवं कानपुर रूट पर जाने वाले यात्रियों की संख्या ज्यादा रही। हालांकि दोपहर बाद आजमगढ़, गाजीपुर, देवरिया आदि रूट पर जाने वाले यात्रियों की संख्या बढ़ने लगी। यूपी रोडवेज के क्षेत्रीय प्रबंधक एमके त्रिवेदी ने बताया कि होली के मौके पर सात रूट पर अतिरिक्त बसें चलाई जा रही हैं। 18 मार्च तक अतिरिक्त बसों का संचालन होता रहेगा। अगर जरूरत पड़ी तो आगे भी अतिरिक्त बसें चलाई जा सकती हैं।