इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि संभल जामा मस्जिद की रंगाई-पुताई और मरम्मत की जरूरत है या नहीं, इसके लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) के तीन अधिकारी मुतवल्ली के साथ निरीक्षण करें। साथ ही इसकी रिपोर्ट शुक्रवार को न्यायालय में 10 बजे प्रस्तुत की जाए। इसके बाद ही न्यायालय रमजान शुरू होने से पहले मस्जिद की रंगाई-पुताई का निर्देश देने पर विचार करेगा। न्यायालय ने यह भी कहा कि रमजान से पूर्व जो भी गतिविधि की जाए, एएसआई उसकी वीडियाेग्राफी कराए। न्यायालय ने 28 फरवरी को फिर से मामले की सुनवाई की जाएगी। न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की पीठ ने जामा मस्जिद संभल की प्रबंधन कमेटी की ओर से सिविल पुनरीक्षण में दाखिल त्वरित सुनवाई की अर्जी पर उक्त आदेश दिया।
मस्जिद कमेटी के अधिवक्ता एसएफ नकवी ने दलील दी कि कई दशकों से मस्जिद की रंगाई-पुताई का काम कमेटी करती चली आ रही है। कभी एएसआई ने इसमें हस्तक्षेप नहीं किया। रमजान का महीना एक मार्च से शुरू हो रहा है, इसलिए रंगाई पुताई किया जाना है। इस दौरान संरक्षित स्थल को न कोई नुकसान पहुंचाया जाएगा और न ही किसी भी तरह का परिवर्तन किया जाएगा।
वहीं, एएसआई के अधिवक्ता मनोज कुमार सिंह ने दलील दी कि संरक्षित इमारत की मरम्मत, रंगाई-पुताई की जिम्मेदारी एएसआई की है। इसके बावजूद मस्जिद कमेटी के लोग एएसआई के अधिकारियों को परिसर में घुसने नहीं देते हैं। मस्जिद में रंगाई-पुताई की आवश्यकता है या नहीं, अदालत के आदेश पर निरीक्षण कर रिपोर्ट प्रस्तुत कर सकते हैं।
वहीं अधिवक्ता हरिशंकर जैन ने रंगाई-पुताई की अर्जी का कड़ा विरोध किया। उन्होंने दलील दी कि रंगाई-पुताई की आड़ में मस्जिद कमेटी हिंदू मंदिर की कलाकृतियों, चिह्नों और प्रतीकों को नष्ट कर देगी। मस्जिद एएसआई संरक्षित है, इसलिए मस्जिद कमेटी को रंगाई-पुताई की अनुमति नहीं दी जा सकती। न्यायालय ने पक्षकारों को सुनने के बाद कहा कि इसमें कोई विवाद नहीं है कि मस्जिद एएसआई संरक्षित है। मरम्मत व रंगाई-पुताई का फैसला भी एएसआई के विवेकाधिकार पर है।
न्यायालय के निर्देश पर एएसआई ने तीन सदस्यीय कमेटी गठित की। इसमें मदन सिंह चौहान संयुक्त निदेशक, जुल्फिकार अली निदेशक स्मारक, अधीक्षण पुरातत्वविद विनोद सिंह रावत शामिल हैं, जो मस्जिद के मुतवल्ली के साथ जांच कर शुक्रवार को रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे।