Mahakumbh 2025: त्रिवेणी के तट पर आस्था का सैलाब... भक्ति की लहरों में समाई दुनिया; इतने करोड़ ने लगाई डुबकी
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Mahakumbh 2025: त्रिवेणी के तट पर आस्था का सैलाब... भक्ति की लहरों में समाई दुनिया; इतने करोड़ ने लगाई डुबकी

 


Maha Kumbh 2025: तीर्थराज प्रयाग में सूरज की पहली किरण के निकलने से पहले ही घने कोहरे और कड़कड़ाती ठंड के बीच मकर संक्रांति के पावन पर्व पर महाकुंभ नगर में श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ पड़ा। महाकुंभ के प्रथम अमृत स्नान पर्व पर पूरी दुनिया भक्ति की त्रिवेणी में समा गई।

मंगलवार को सनातन परंपरा का निर्वहन करते हुए अखाड़ों ने संगम में दिव्य-भव्य अमृत स्नान किया। भाला, त्रिशूल और तलवारों के साथ बुद्ध कला का अद्भुत प्रदर्शन करते हुए घोड़े और रथों पर सवार होकर शोभायात्रा के साथ पहुंचे नागा साधु, संतों की दिव्यता और करतब देखकर श्रद्धालु निहाल हो उठे। 3.5 करोड़ श्रद्धालुओं ने लगाई डुबकी

अखाड़ों के आचार्य, मंडलेश्वर, महामंडलेश्वर और आचार्य महामंडलेश्वर सज-धज कर रथों से संगम तक पहुंचे। देश ही नहीं, दुनियाभर के संस्कृति प्रेमी एक तट पर इस दुर्लभ घड़ी का साक्षी बनने के लिए ब्रहम मुहूर्त में ही उमड़ पड़े। आस्था की लहरों ने ऐसी हिलोरे ली कि देर रात तक 3.5 करोड़ श्रद्धालु डुबकी लगा चुके थे। अब मौनी अमावस्या पर 29 जनवरी को दूसरा अमृत स्नान, जबकि वसंत पंचमी पर तीन फरवरी को तीसरा अमृत स्नान होगा।

भक्ति की लहरों में समाई दुनिया...आचार्यों मंडलेश्वरों, महामंडलेश्वरों की छटा

देश ही नहीं, एशिया से लेकर यूरोप तक के संस्कृति प्रेमी एक तट पर पुण्य की डुबकी लगाने और उस दुर्लभ घड़ी का साक्षी बनने के लिए उमड़ पड़े। आस्था की लहरें हिलोरें मारने लगीं। तीर्थराज में उजाले की एक किरण तक नहीं निकली थी कि हाड़ कंपा देने वाली ठंड के बीच महाकुंभ नगर में श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ पड़ा। अमृत स्नान के लिए देश-विदेश से करोड़ों लोग गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम पर पहुंचे। पवित्र स्नान का यह दृश्य भारतीय संस्कृति और परंपरा की गहराई को दर्शाता नजर आ रहा था। सबसे पहले अखाड़ों का शाही स्नान हुआ। पंचायती निर्वाणी अखाड़े के नागा साधुओं ने भाला, त्रिशूल और तलवारों के साथ अपने शाही स्वरूप में अमृत स्नान किया। साधु-संत घोड़े और रथों पर सवार होकर शोभायात्रा में शामिल हुए। उनके साथ चल रही भजन मंडलियों और श्रद्धालुओं के जयघोष ने माहौल को और दिव्य बना दिया। इससे पहले, महाकुंभ के प्रथम स्नान पर्व पौष पूर्णिमा पर 1.75 करोड़ लोगों ने पुण्य की डुबकी लगाई थी। 


महानिर्वाणी अखाड़े ने सबसे पहले लगाई डुबकी

सबसे पहले रथ पर सवार होकर महानिर्वाणी अखाड़े के नागा संन्यासी और महामंडलेश्वर अमृत स्नान के लिए पहुंचे। उनके पोछे भस्म से लिपटे अटल अखाड़े के नागा तलवार, भालों के साथ जयकारा लगाते चल रहे थे। सबसे अंत में 3:50 बजे निर्मल अखाड़े के संतों ने स्नान किया। 

त्रिवेणी की गोद में बच्चों सी अठखेलियां

प्रथम अमृत स्नान के दौरान नागा साधुओं ने पारंपरिक और अद्वितीय गतिविधियों से सभी का ध्यान आकर्षित कर लिया। 

ज्यादातर अखाड़ों का नेतृत्त्व कर रहे नागा साधु भाले और तलवारें लहराते हुए युद्ध कला का प्रदर्शन करते संगम तट पर पहुंचे।

स्नान के लिए निकली अखाड़ों की शोभायात्रा में सैकड़ों नागा घोड़ों पर सवार होकर पहुंचे। जटाओं में फूल, मालाएं, हवा में त्रिशूल लहराते और नगाड़े बजाते हुए पहुंचे इन साधुओं ने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।

साधुओं ने 21 श्रृंगार के साथ पहली डुबकी लगाई। हिमालय की कंदराओं, मठों, मंदिरों में रहने वाले धर्मरक्षक नागा मां गंगा की गोद में बच्चों की तरह अठखेलियां करते नजर आए।

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