दो जुलाई को लोकसभा में राष्ट्रपति के संबोधन पर चर्चा के बाद तीन जुलाई को प्रधानमंत्री ने राज्यसभा में अपना वक्तव्य दिया। विपक्ष के वॉकआउट के पहले ही अपने संबोधन में उन्होंने इस बात के संकेत दे दिए कि भाजपा ने चुनाव परिणामों से सबक लिया है। वह उस पर काम भी करेगी, भाजपा की कार्यप्रणाली देखते हुए यह माना जा सकता है। लेकिन प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में विपक्ष की उन नाकामियों की भी चर्चा की है, जिसके कारण इस बार वह सत्ता में पहुंचने से चूक गई। क्या विपक्ष उस चेतावनी को सुनने की कोशिश करेगा? प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि विपक्ष केवल इंतजार करना जानता है। वह प्रयास नहीं करता, जबकि हम (भाजपा) परिश्रम करना जानते हैं। प्रधानमंत्री ने अपने पूरे संबोधन में युवाओं के लिए रोजगार के अवसरों की बात की है। उन्होंने देश के किसानों को फल-सब्जी के उत्पादन और व्यापार में लाकर उनकी आय बढ़ाने की बात की है। रेहड़ी-पटरी वालों को बेहतर रोजगार के अवसरों की बात की है। चूंकि, इन्हीं वर्गों को भाजपा को दूसरी बार सत्ता में लाने के लिए जिम्मेदार माना गया था, माना जा सकता है कि केंद्र सरकार एक बार फिर इन्हीं वर्गों को ध्यान में रखते हुए नीतियां बनाएगी और उनका विश्वास जीतने की कोशिश करेगी। महिलाओं-छात्रों-युवाओं से जुड़ने के संकेत
उन्होंने पश्चिम बंगाल में एक महिला के निर्वस्त्र कर पीटे जाने की घटना का उल्लेख कर ममता बनर्जी सरकार पर हमला बोला। इससे उन्होंने महिलाओं की संवेदना के साथ जुड़ने का काम भी किया है। पीएम ने भ्रष्टाचार पर हमला करने में विपक्ष द्वारा एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगाए जाने पर भी बात की है। मोदी ने लोकसभा के बाद राज्यसभा में भी पेपर लीक पर चर्चा की है। उन्होंने युवाओं को बेहतर व्यवस्था बनाने और पेपर लीक के दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करने की चेतावनी भी दी है। यानी अपने ऊपर हो रहे हमलों का जवाब देने के साथ-साथ मोदी की कोशिश जनता के साथ जुड़ने की कोशिश भी है।