मॉस्को. धमाकों की गूंज, तबाह होते भवन, सड़कों पर गोलीबारी के बीच निकलते सैन्य वाहनों और कभी नागरिकों से पटी सड़कों पर बंदूकधारी घूमते नजर आ रहे हैं. रूस और यूक्रेन (Russia-Ukraine) के बीच जारी युद्ध में शहरों का नजारा यही है. सैकड़ों आम लोगों और सैनिकों की मौत की जिम्मेदार बनी इस जंग को लेकर जानकार कई कारण गिनाते हैं. रूस की तरफ से शुरू किए गए आक्रमण को एक सप्ताह से ज्यादा का वक्त गुजर चुका है, लेकिन यह संघर्ष कब तक चलेगा अभी साफ नहीं है.भाषा के अनुसार, यूक्रेन और रूस के वार्ताकारों ने गुरुवार को कहा कि युद्ध पर तीसरे दौर की वार्ता जल्द ही होगी. पोलैंड की सीमा के समीप बेलारूस में गुरुवार को वार्ता में रूसी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने वाले राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के सलाहकार व्लादिमीर मेदिन्स्की ने कहा कि दोनों पक्षों की ‘स्थिति बिल्कुल स्पष्ट है, संघर्ष के राजनीतिक समाधान से संबंधित मुद्दों समेत एक-एक बात लिखी गयी है.’ उन्होंने विस्तार से जानकारी दिए बिना कहा, ‘उनकी ओर से आपसी सहमति बनी है.’दोनों देशों के बीच के हालात को इन 5 तरह से देखा जा जाए, तो समयसीमा का अनुमान लगाया जा सकता है- शॉर्ट वॉर या कम अवधि का युद्ध
बीबीसी के अनुसार, इसके तहत रूस अपनी सैन्य कार्रवाई को तेज करेगा. पूरे यूक्रेन में रॉकेट से हमले जारी हैं. इसी बीच अभी तक किसी बड़ी भूमिका से वंचित रही रूसी वायुसेना भी एयर स्ट्राइक के जरिए गतिविधियां तेज कर सकती हैं. साथ ही एनर्जी सप्लाई और संचार के रास्ते खत्म कर दिए गए, हजारों आम नागरिक मर जाते हैं. बहादुरी से सुरक्षा के बजाए कीव कुछ ही दिनों में रूस के हाथों गिर जाए और देश में मॉस्को समर्थित एक कठपुतली सरकार आ जाए. साथ ही राष्ट्रपति जेलेंस्की को या तो खत्म कर दिया जाए, या वे निर्वासित सरकार स्थापित करने के लिए यूक्रेन या विदेश भाग जाएं. इसके बाद राष्ट्रपति पुतिन जीत की घोषणा कर दें और कुछ सैनिकों को वापस बुला लें. हजारों शरणार्थियों का पश्चिम की ओर भागना जारी है और यूक्रेन, मॉस्को के क्लाइंट स्टेट के रूप में बेलारूस के साथ शामिल हो जाए. हालांकि, यह स्थिति असंभव नहीं है, लेकिन कई पुतिन और यूक्रेन के प्रदर्शन समेत कई बातों पर निर्भर करती है.
लॉन्ग वॉर या लंबी अवधि का युद्ध
मौजूदा जंग के लंबे चलने की संभावना जताई जा रही है. हो सकता है कि इस दौरान मनोबल टूटने, रसद पहुंचने में परेशानी और कमजोर नेतृत्व के चलते रूसी सेना कमजोर पड़ जाए. हो सकता है कि उन्हें कीव जैसे शहरों पर नियंत्रण हासिल करने में लंबा समय लग जाए. इसके बाद अगर रूसी सेना यूक्रेन के शहरों में पहुंच भी जाती हैं, तो हो सकता है कि उन्हें नियंत्रण बनाए रखना मुश्किल हो जाए.