प्रयागराज में रहने वाले UPSC स्टूडेंट के हैं। वह पहले एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती हुआ, लेकिन वहां से उसे स्वरूप रानी नेहरू हॉस्पिटल रेफर कर दिया गया। परिवार में पिता किसान और मां हाउस वाइफ हैं। स्टूडेंट परिवार का इकलौता बेटा है। मां कहती हैं- मेरे बेटे को किसी ने बरगला दिया। CBSE बोर्ड से उसे पढ़ाया था। अब वह सिविल सर्विसेज की तैयारी कर रहा था। हमें लगा था कि वो IAS बनेगा। वह बहुत होशियार है। लेकिन, किसी डॉक्टर के चक्कर में आकर उसने जिंदगी तबाह कर ली। छात्र ने प्राइवेट पार्ट काटने का फैसला क्यों किया? क्या अब दोबारा वो अपनी पुरानी स्थिति में आ सकेगा? उसका इलाज करने वाले डॉक्टर क्या कहते हैं? ये जानने के लिए 'दैनिक भास्कर' हॉस्पिटल पहुंचा। 14 साल का था, लड़कियों के साथ डांस करते हुए लगा कि मैं उनके जैसा हूं स्टूडेंट से मिलने जब हम हॉस्पिटल पहुंचे तो वह एक जनरल वार्ड में एडमिट थे। चेहरे पर कोई शिकन नहीं था। बल्कि बातचीत के दौरान धीरे-धीरे मुस्कुरा देते थे। हमने पूछा- ऐसा किस उम्र पर लगा कि आप लड़कियों की तरफ सोचते और जिंदगी जीना चाहते हैं? स्टूडेंट ने कहा- मैं अमेठी का रहने वाला हूं। मेरे पापा किसान हैं, हमारी अच्छी खेतीबाड़ी है। मेरी मां हाउस वाइफ हैं। मेरा कोई भाई-बहन नहीं है। मेरी पढ़ाई CBSE बोर्ड से हुई है। जब मैं 14 साल का था, तब मैं एक फंक्शन में गया था। वहां लड़कियों के साथ डांस करते हुए मुझे पहली बार एहसास हुआ कि मैं लड़कों की तरह नहीं हूं। सिर्फ लड़कों की तरह दिखता हूं। वहां से लौटने के बाद मैंने इस बारे में सोचना शुरू किया। चूंकि मां-बाप का इकलौता बेटा हूं, इसलिए परिवार में कुछ भी कहते नहीं बना। फिर ग्रेजुएशन करने के दौरान में अपनी मौसी के घर पर रहने चला गया। फिर मैं UPSC की तैयारी के लिए प्रयागराज आ गया। सिविल लाइन एरिया में एक कमरा किराये पर लिया। आया तो मैं तैयारी करने था, मगर पढ़ाई में मन ही नहीं लग रहा था। गूगल, यूट्यूब पर सेक्स चेंज के बारे में पढ़ा फिर मैंने गूगल और यूट्यूब पर सर्च करना शुरू किया कि एक लड़का कैसे शारीरिक रूप से लड़की बन सकता है। कुछ सर्जरी के इनपुट मिले। उन्हें पढ़ता रहा, फिर मुझे कटरा (प्रयागराज) में एक डॉक्टर के बारे में पता चला। मैंने पहले फोन किया, फिर मिलने भी गया। डॉक्टर का नाम डॉ. जेनिथ था। मैंने अपनी समस्या बताई कि मैं लड़की तरह फील करता हूं, मगर शरीर से लड़का हूं। तो मैं शरीर से भी कैसे लड़की जैसा हो सकता है? डॉक्टर ने कहा– तुम्हें इसके लिए सबसे पहले अपना प्राइवेट पार्ट काटना होगा। उन्होंने पूरा प्रोसेस भी समझाया कि घर पर ही ये सब कैसे कर सकते हैं। उनके कहने पर मैं एनेस्थिसिया का इंजेक्शन, सर्जिकल ब्लेड, रुई और बाकी सामान खरीदकर लाया। खुद ही इंजेक्शन लगाया, सर्जिकल ब्लेड से पार्ट काट दिया फिर कमरे में अकेले ही खुद को एनेस्थिसिया का इंजेक्शन लगाया। मेरी कमर के नीचे का हिस्सा सुन्न हो गया। इसके बाद मैंने अपने ही हाथों से प्राइवेट पार्ट का काट दिया। इसके बाद खुद की मरहम पट्टी कर ली। करीब 6 घंटे बाद मेरे शरीर में एनेस्थिसिया का असर कम होने लगा। इसके बाद इतना तेज दर्द महसूस हुआ कि लगा जान निकल जाएगी। करीब 1 घंटे तक दर्द से मैं वही कमरे में तड़पता रहा। सोचा कि कुछ देर में दर्द कम हो जाएगा, मगर ऐसा नहीं हुआ। तब मैंने पेन किलर मेडिसिन भी खाई, मगर कुछ आराम नहीं मिला। अपनी पट्टी हटाकर देखा तो खून ही खून हो गया। फर्श पर खून फैल गया। जब लगा कि अब जान नहीं बचेगी, तो अपने मकान मालिक को आवाज लगाई। मैं चिल्ला रहा था- मेरे लिए एम्बुलेंस मंगवा दीजिए। आप लोग ऊपर कमरे में मत आइएगा, सिर्फ मुझे हॉस्पिटल पहुंचाने में मदद करिए। तबीयत खराब हो रही है। मेरे मकान मालिक ने एम्बुलेंस बुलाई। देर रात मुझे तेज बहादुर सप्रू हॉस्पिटल में ले जाया गया। चूंकि हालत गंभीर थी, इसलिए मुझे स्वरूप रानी नेहरू अस्पताल के लिए रेफर कर दिया गया। अब यहीं पर मेरा इलाज चल रहा है।
‘मुझे लड़कियों में कोई इंट्रेस्ट नहीं’
छात्र ने कहा- मुझे लड़कियों में कोई इंट्रेस्ट ही नहीं है। मुझे लगता है कि मेरी आवाज भी लड़कियों जैसे ही है। चलने की भी स्टाइल भी उनके जैसा है। हमने पूछा– क्या ये नहीं लगा कि खुद से सर्जरी कर लोगे तो जान का खतरा हो सकता है। उसने बताया- मुझे पता नहीं था कि इसमें मेरी जान जा सकती थी, मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था। मैं जेंडर ही चेंज करना चाहता था, बस इसीलिए यह सब किया।बेटे का हाल देख मां बोलीं- इस हालत का गुनहगार डॉक्टर बेटे की देखभाल करने के लिए मां भी अस्पताल पहुंच गई हैं। वह बेटे को इस हाल में देखकर सिर्फ रो रही थीं। वार्ड में जो भी डॉक्टर पहुंचता है, उसे देखकर मां हाथ जोड़ ले रही थी- ये मेरा इकलौते बेटा है, इसको पहले की तरह कर दो। मगर डॉक्टर ने सर्जरी के बारे में जो ऑप्शन थे, उनके बारे में उन्हें बता दिया। मां ने दैनिक भास्कर से बात करते हुए कहा- जब मेरा बेटा प्रयागराज जा रहा था, तब मुझे लगा कि UPSC करके ये IAS बनेगा, मगर अब ये ऐसा लग नहीं रहा है, इसने कभी मुझे ऐसा कुछ बताया भी नहीं।
डॉक्टर का व्यू जानिए...
बोले- अब वो लड़का पहले जैसा नहीं होना चाहता... स्वरूप रानी नेहरू अस्पताल के सर्जन डॉ. संतोष सिंह बताते हैं- इस छात्र की उम्र करीब 17 साल है। उसने अपने हाथ से ही अपना प्राइवेट पार्ट काट लिया था। उसे लगता था कि वह लड़की है, इसलिए उसने अपनी जान जोखिम में डाल दी। अगर समय रहते वह अस्पताल नहीं पहुंचता तो स्थिति और बिगड़ जाती। मनोचिकित्सक के जरिए भी उसकी काउंसिलिंग कराई जाएगी। उनकी राय भी ली जाएगी। मनोचिकित्सक का व्यू जानिए...
ये जेंडर आईडेंटिटी डिसऑर्डर का केस अगर किसी यूथ को ऐसा फील हो तो वो क्या करें? इस सवाल के साथ दैनिक भास्कर ने मोतीलाल नेहरू मंडलीय चिकित्सालय के सीनियर मनोचिकित्सक डॉ. राकेश पासवान से बात की। उन्होंने कहा- ये जेंडर आईडेंटिटी डिसऑर्डर का मामला है। इसमें किसी लड़के को लगने लगता है कि वह लड़की है। ऐसा ही लड़कियों के केस में भी होता है, उन्हें लगता है कि वो एक लड़का है, सिर्फ बॉडी लड़कियों की है।
ऐसे केस में कई बार लड़के या लड़की को अपने ही शरीर से नफरत हो जाती है। वह जेंडर चेंज करना चाहता है। इस छात्र के साथ भी ऐसा ही हुआ होगा। मेरा सुझाव है कि ऐसी स्थिति में संबंधित व्यक्ति को मनोवैज्ञानिक या मनोचिकित्सक से संपर्क करना चाहिए था और उसे अपने मां-बाप को यह बात बतानी चाहिए थी।