प्रदीप बच्चन(ब्यूरो चीफ)
बलिया(यूपी) ऋतुराज बसंत और प्रकृति के नवश्रृंगार उपरांत,रंगोत्सव एवं आनन्दोत्सव पर्व "होली" के पावन अवसर को वाराणसी से दूरभाष के माध्यम से साझा करती साहित्यकार/पत्रकार प्राची राय ने जानकारी देते हुए हमारे वरिष्ठ संवाददाता-प्रदीप बच्चन को बताया कि विगत वर्ष की भांति इस वर्ष भी महिला भूमिहार समाज के द्वारा आयोजित "होली मिलन समारोह" हर्षोल्लास के साथ वाराणसी स्थित होटल मधुबन पैलेस ककरमत्ता में मनाया गया।बतादें कि
"काशी का राग और ब्रज का फाग" जब मिल जाते हैं तो रंगोत्सव की धूम सतरंगी हो जाती है। राधा और कृष्ण के नाम के गुलाल से महिला भूमिहार समाज रंग की तरंग में डूब गई।
सर्वप्रथम मुख्य अतिथि द्वारा दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम की शुरूआत की गई।जिसमें अपर सिविल जज जूनियर डिवीजन ईशा राय,श्रीमती देवसुता तिवारी पत्नी प्रोफेसर आनंद कुमार त्यागी कुलपति म.गां.काशी विद्यापीठ,रजिस्टार डॉक्टर सुनीता पांडे,डॉ इंदु सिंह,डॉ मधुलिका राय,डॉ संगीता राय (बीएचयू), प्रतिभा सिंह,नीलम सिंह,डॉक्टर सुषमा राय, रीता सिन्हा एवं प्रो.उषा किरन राय, रीना राय, कुसुम राय जी उपस्थित रहीं। सर्वप्रथम विघ्नहर्ता श्री गणेश जी की वंदना गाकर ईशा ने कार्यक्रम आगे बढ़ाया।प्राची राय जी ने जानकारी दी है कि
महिला भूमिहार समाज की संस्थापिका डॉ.राजलक्ष्मी राय ने कहा कि होली राग द्वेष को भुलाकर उमंग और उल्लास के साथ मनाया जाता है।साथ ही ये भी कहा कि ब्रज की होली और काशी की बोली जब एक रंग में रंग जाते हैं तो होली का रंग बस खुशियां ही फैलाता है। कार्यक्रम में आए हुए अतिथिगण का स्वागत छाया,खुशबू,सविता,माया सोनी और अनीता ने अंगवस्त्र एवं माल्यार्पण किया। ब्रज की होली की थीम पर सभी महिलाओं ने राधा और कृष्ण के परिधान में सजकर बनारस की धरा पर ब्रज को जीवंत कर दिया।
सभी महिलाओं ने फूलों और गुलाल की बौछार से एक दूसरे को सराबोर कर होली के गीत पर जमकर नृत्य किया।कार्यक्रम को सफल बनाने मे सविता,खुशबू,छाया,स्वप्निल ,माया ,अनीता,सोनी आदि योगदान दिया। इस समारोह में पूनम सिंह,मंजुला चौधरी, वंदना सिंह,किरन सिंह,सरिता,पूनम सिंह,प्रतिमा,सोनी राय,बबिता,
चंद्रकला,डॉ.विजयता, प्राची राय,नीलिमा राय आशा राय,सीमा,सुमन,अनिता,नीलू, रिमझिम,पायल,पूजा,संध्या,पूनम, सीमा,अंजू, आदि उपस्थित रही।
कार्यक्रम का संचालन सविता सिंह एवमं खुशबू ने किया ।
आये हुए आगुंतकों का आभार महिला भूमिहार समाज की संस्थापिका डां राजलक्ष्मी राय एवं पूनम सिंह ने दिया।