राज्य सरकार मेट्रो रेल, लाइट मेट्रो रेल, क्षेत्रीय त्वरित रेल जैसी सुविधा वाले क्षेत्रों में तेजी से बढ़ रही जमीन की कीमतों को देखते हुए अब व्यावसायिक भवन का नक्शा पास कराने वालों से विशेष सुख-सुविधा शुल्क लेगी। इससे संबंधित प्रस्ताव को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। दरअसल, जिस क्षेत्र में मेट्रो रेल व रोपवे जैसी सुविधाएं हैं वहां जमीन की कीमत के साथ ही व्यवसायिक गतिविधियां बढ़ रही हैं। इसीलिए आवास एवं शहरी नियोजन विभाग ने विशेष सुख सुविधा शुल्क लेने का फैसला किया है। यह शुल्क व्यवसायिक नक्शा पास कराने वालों से विकास प्राधिकरण वसूलेंगे। इसके लिए उप्र. नगर योजना और विकास (संशोधन) अधिनियम-2023 में दी गई व्यवस्था के आधार पर उप्र. नगर योजना और विकास (विशेष सुख सुविधा शुल्क निर्धारण वसूली व संग्रहण) नियमावली को मंजूरी दी गई है। आवास विभाग का मानना है कि शहरी क्षेत्रों में गुणवत्तापूर्ण नगरीय सुविधाएं देने में इससे विकास को बढ़ावा मिलेगा और रोजगार के नए द्वार खुलेंगे। अब कम जमीन पर भी बन सकेंगे ऊंचे भवन
राज्य सरकार ने शहरों में कम जमीन पर अधिक ऊंची इमारत बनाने की सुविधा दे दी है। बिल्डर पैसे जमा कर अतिरिक्त फ्लोर यानी फ्लोर एरिया रेशियो (एफएआर) खरीद सकेंगे। सीएम योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में बृहस्पतिवार को हुई कैबिनेट की बैठक में यह फैसला हुआ।
आवास विभाग ने बिल्डरों या फिर किसी को भी शासनादेश के आधार पर अतिरिक्त फ्लोर खरीद कर बनाने की सुविधा दी थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी थी। कोर्ट ने कहा था कि नियमावली बनाने के बाद ही इसकी वसूली की जा सकती है। इसके आधार पर आवास विभाग ने उप्र. नगर योजना और विकास अधिनियम 1973 में दी गई व्यवस्था के आधार पर उप्र. नगर योजना और विकास (क्रययोग्य एफएआर शुल्क का निर्धारण व वसूली) नियमावली बनाई थी जिसे कैबिनेट से मंजूरी मिल गई है।
गाजियाबाद में बसेगी नई टाउनशिप
प्रदेश सरकार गाजियाबाद शहर में आवासीय समस्या को दूर करने के लिए वहां टाउनशिप विकसित करेगी। इसके लिए आवास विभाग 1366 करोड़ से अधिक खर्च करेगा। पहली किस्त के तौर पर 400 करोड़ रुपये खर्च करने के प्रस्ताव को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। रकम की व्यवस्था होने के बाद गाजियाबाद विकास प्राधिकरण अब इस टाउनशिप योजना को जमीन पर उतारने का का काम करेगा।
आवास विभाग के प्रस्ताव के मुताबिक मुख्यमंत्री शहरी विस्तारीकरण नए शहर प्रोत्साहन योजना के तहत प्रदेश में 100 नई टाउपशिप बसाने जा रही है। इसके लिए विकास प्राधिकरणों को इस योजना में पैसा दिया जा रहा है। इसी क्रम में गाजियाबाद विकास प्राधिकरण ने प्रस्ताव आवास एवं शहरी नियोजन विभाग को भेजा था। योजना के तहत भूमि खरीदने पर आने वाले खर्च का 50 प्रतिशत तक राज्य सरकार द्वारा सीड कैपिटल के रूप में अधिकतम 20 सालों तक के लिए देती है। नए शहरों का समग्र और समुचित विकास मद में वित्तीय वर्ष 2024-25 में 3000 करोड़ रुपये का प्रावधान है। गाजियाबाद विकास प्राधिकरण की हरनंदीपुरम योजना में कैपिटल सीड के रूप में 1366.21 करोड़ रुपये स्वीकृत हुए हैं। इसमें से पहली किस्त को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है।
कानपुर मेट्रो रेल परियोजना के लिए मुफ्त दी जाएगी जमीन
राज्य सरकार ने कानपुर मेट्रो रेल परियोजना के लिए सिंचाई विभाग की जमीन मुफ्त देने का फैसला किया है। कैबिनेट ने प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। कानपुर मेट्रो रेल परियोजना के कॉरिडोर एक आईआईटी से नौबस्ता तक पनचक्की चौराहा, फूलबाग में पार्किंग के लिए सिंचाई विभाग की 12371 वर्ग मीटर भूमि, नरौरा चौराहा फूलबाग में एन्सिलरी भवन के लिए 1792.54 वर्ग मीटर भूमि दी जाएगी। ट्रांसपोर्ट नगर मेट्रो स्टेशन स्थित 432 वर्ग मीटर भूमि स्थाई रूप से और कॉरिडोर दो कृषि विवि से बर्रा-आठ में आने वाले काकादेव मेट्रो स्टेशन के प्रवेश और बाहर को सबवे निर्माण लिए देवकी चौराहा के समीप पांडुनगर स्थित 1766.17 वर्ग मीटर भूमि मुफ्त आवास विभाग को दी जाएगी।
नाइट सफारी के बजट को अनुमोदन
कैबिनेट ने लखनऊ के कुकरैल वन क्षेत्र में नाईट सफारी और चिड़ियाघर के लिए 1510.57 करोड़ रुपये के प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी है। इसमें थर्ड पार्टी ऑडिट का व्यय भी शामिल है। इसके अलावा जौनपुर में एक मदरसा के संबंध में हाईकोर्ट के आदेश के अनुपालन में लाए गए प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी गई है।
राज्य आपदा कर्मचारी सेवा नियमावली जारी करने के प्रस्ताव को मंजूरी
कैबिनेट ने राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण अधिकारी/कर्मचारी सेवा नियमावली-2025 को जारी करने संबंधी प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी है। इससे राज्य आपदा प्रबंधन में लगे अधिकारियों व कर्मचारियों की सेवा शर्तें उनके अधिक अनुकूल होंगी। अब शीघ्र ही राजस्व विभाग औपचारिक रूप से शासनादेश जारी करेगा।
रज्जू भैया विवि के भवन निर्माण की पुनरीक्षित बजट स्वीकृत
कैबिनेट ने प्रो. राजेंद्र सिंह रज्जू भैया विश्वविद्यालय, प्रयागराज के पहले चरण के भवन निर्माण से संबंधित लागत पुनरीक्षण को हरी झंडी दे दी है। उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने बताया कि पहले स्वीकृत किए गए 200 करोड़ के बजट में जीएसटी नहीं लगी थी। साथ ही वहां पर गढ्ढे भी थे। इस पर कार्यदायी संस्था की ओर से भेजे गए पुनरीक्षित बजट को परीक्षण के बाद 269.14 करोड़ की स्वीकृति दी गई है।
वहीं आईआईएमटी विश्वविद्यालय मेरठ को ग्रेटर नोएडा में दूरस्थ परिसर की स्थापना के लिए आशय पत्र जारी करने को भी कैबिनेट ने हरी झंडी दे दी है। इसके बाद वह अब नियमानुसार इससे जुड़ी अन्य प्रक्रिया शुरू करेंगे। दो साल में वह इसे पूरी करके संचालन के लिए प्रस्ताव देंगे।
हाथरस कांड की न्यायिक जांच रिपोर्ट पेश
हाथरस कांड की न्यायिक जांच की रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंप दी गई है। बजट पेश होने से पहले बृहस्पतिवार को आयोजित कैबिनेट की बैठक में रिपोर्ट पेश की गई, जिसे सदन के पटल पर रखने के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की गई।
फिलहाल राज्य सरकार ने रिपोर्ट के तथ्यों का सार्वजनिक नहीं किया है। हालांकि सूत्रों की मानें तो रिपोर्ट में भोले बाबा को आरोपी नहीं ठहराया गया है, जिससे उन्हें क्लीन चिट मिल गई है। आयोग ने अपनी रिपोर्ट में पुलिस की जांच को सही पाया है। साथ ही, भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए कई अहम सुझाव भी दिए हैं। आयोग को हादसे के पीछे साजिश होने के प्रमाण मिले हैं कि नहीं, अभी इसकी पुष्टि नहीं हो सकी है।
बता दें कि हाथरस के सिकंदराराऊ क्षेत्र के फुलराई गांव में 2 जुलाई 2024 को भोले बाबा उर्फ नारायण साकार हरि के सत्संग के बाद मची भगदड़ में 121 लोगों की मृत्यु हो गई थी। हादसे की जांच के लिए राज्य सरकार ने हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति ब्रजेश कुमार श्रीवास्तव की अध्यक्षता में न्यायिक जांच आयोग का गठन किया था। आयोग में सेवानिवृत्त आईपीएस भवेश कुमार सिंह और सेवानिवृत्त आईएएस हेमंत राव को सदस्य बनाया गया था। आयोग ने सभी मृतकों के पीड़ित परिजनों, घायलों, प्रत्यक्षदर्शियों के साथ भोले बाबा का भी बयान दर्ज किया था। वहीं दूसरी ओर पुलिस ने घटना के लिए आयोजकों को दोषी करार देते हुए अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया था। वहीं आयोग ने भी अपनी रिपोर्ट जनवरी माह के अंतिम सप्ताह में राज्य सरकार को सौंप दी थी, जिसे बृहस्पतिवार को कैबिनेट में रखा गया। सूत्रों की मानें तो बजट सत्र में राज्य सरकार इसे सदन के पटल पर रख सकती है।

