महाकुंभ: वसंत पंचमी के लिए समग्र बल, सात पुलिस उपकरणों को भी बुलाया गया, सुरक्षा के व्यापक भ्रमण
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महाकुंभ: वसंत पंचमी के लिए समग्र बल, सात पुलिस उपकरणों को भी बुलाया गया, सुरक्षा के व्यापक भ्रमण

 


इस बात का पूरा ख्याल रखा जा रहा है कि श्रद्धालुओं के आने और जाने का मार्ग अलग-अलग हो और इसका कड़ाई से पालन कराया जाएगा। संगम घाट के सर्कुलेटिंग एरिया में किसी को भी ठहरने की अनुमति नहीं दी जाएगी। श्रद्धालुओं को स्नान करने के बाद तुरंत गंतव्य की ओर रवाना किया जाएगा। भीड़ के लिहाज से कुछ नए संवेदनशील प्वाइंट चिह्नित किए गए हैं। इन पर अतिरिक्त फोर्स की तैनाती की जाएगी। संगम द्वार चौराहे के पास सख्ती, खड़े होने की भी अनुमति नहीं

मौनी अमावस्या हादसे के बाद संगम लोअर मार्ग से संगम घाट जाने वाली रास्ते पर चौकसी बढ़ा दी गई है। संगम द्वार चौराहे के पास चारों तरफ बैरिकेडिंग की गई है। यहां किसी को खड़े होने की भी अनुमति नहीं है। इस चौराहे से किसी भी प्रकार के वाहन के आगे जाने पर रोक है। इसके अलावा यहां रैपिड एक्शन फोर्स के जवानों की अतिरिक्त टुकड़ी भी तैनात की गई है। शुक्रवार को सुबह से ही यहां आरएएफ के जवान गश्त करते रहे। इसके साथ ही घुड़सवार पुलिस के भी चार पुलिसकर्मियों की ड्यूटी लगाई गई है।

 

चार एसपी, तीन एडिशनल एसपी भी भेजे गए

शासन की ओर से पुलिस के सात राजपत्रित अधिकारियों की तैनाती महाकुंभ मेला क्षेत्र में की गई है। इनमें चार एसपी और तीन एडिशनल एसपी स्तर के अधिकारी हैं। इस सूची में एसपी दीपेंद्र नाथ चौधरी, लक्ष्मी निवास मिश्र, राजधारी चौरसिया, श्रवण कुमार सिंह, एडिशनल एसपी विकास चंद्र त्रिपाठी, ओम प्रकाश सिंह व प्रवीण कुमार यादव शामिल हैं। दीपेंद्र नाथ चौधरी प्रयागराज में लंबे समय तक एडिशनल एसपी यमुनापार के पद पर तैनात रहे हैं और माघ मेले के साथ 2019 कुंभ में भी सेवाएं दे चुके हैं। उठ रहे सवाल, अनुभव वालों को क्यों किया नजरअंदाज

 

मौनी अमावस्या हादसे के बाद महाकुंभ मेला क्षेत्र में पुलिस अफसरों की तैनाती को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं। सबसे बड़ा सवाल यह है कि जिन अधिकारियों को न सिर्फ माघ मेला, बल्कि अर्ध कुंभ जैसे आयोजनों का भी अनुभव था, उन्हें क्यों नजरअंदाज किया गया। इसके अलावा ऐसे कई एडिशनल एसपी और डिप्टी एसपी की तैनाती कर दी गई, जिन्होंने अब तक माघ मेला भी नहीं कराया है। मकर संक्रांति का पर्व बीतने के बाद दो एडिशनल एसपी स्तर के अधिकारियों को महाकुंभ में बुलाया गया।

यह दोनों अधिकारी कई बार माघ मेले के आयोजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। इसी तरह चार बार माघ मेले का सफल आयोजन करने वाले डीआईजी राजीव नारायण मिश्रा को महाकुंभ मेले में तैनाती न दिया जाना भी बेहद हैरान करने वाला निर्णय था। महाकुंभ से ठीक पहले तत्कालीन पुलिस आयुक्त रमित शर्मा, जो 2019 अर्ध कुंभ की परिकल्पना के सूत्रधार थे, का तबादला भी बेहद चौंकाने वाला था।

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