प्रदीप बच्चन (ब्यूरो चीफ)
बलिया (यूपी) लोकनायक जयप्रकाश नारायण की धरती से एक बार फिर परिवर्तन और संघर्ष की आवाज़ उठी। सांसद पुत्र युवा तुर्क नेता डॉ. बिपुलेंद्र प्रताप सिंह ने “किसान संवाद यात्रा” की शुरुआत करते हुए कहा कि आज भी लोकनायक के आदर्श भारतीय लोकतंत्र के लिए मार्गदर्शक हैं। उन्होंने कहा कि जयप्रकाश जी ने ऐसी शासन व्यवस्था का सपना देखा था, जो भ्रष्टाचारमुक्त, समाजवादी और जनकेंद्रित हो — जहाँ गांव, किसान और सहकारिता विकास के केंद्र में हों।
डॉ. सिंह ने कहा कि किसान संवाद यात्रा का उद्देश्य किसानों को जागरूक और संगठित कर उनकी समस्याओं को व्यवस्था तक पहुँचाना है। उन्होंने बताया कि “लोकनायक जयप्रकाश ने संपूर्ण क्रांति के माध्यम से समाज और व्यवस्था दोनों को बदलने की बात कही थी। उनके आंदोलन के तीन आयाम — सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक — के साथ-साथ सांस्कृतिक और नैतिक सुधार भी उतने ही जरूरी थे।”
उन्होंने कहा कि आज भी व्यवस्था की जड़ता, असंवेदनशीलता और भ्रष्टाचार वैसी ही स्थिति में है जैसी जयप्रकाश के समय थी। संवाद के माध्यम से किसानों को एकजुट कर, उसी परिवर्तन की दिशा में कदम बढ़ाना इस यात्रा का उद्देश्य है।
डॉ. बिपुलेंद्र प्रताप सिंह ने किसानों की दुर्दशा का उल्लेख करते हुए कहा कि हाल के दिनों में क्षेत्र की खरीफ फसलें — मक्का और धान — बर्बाद हो चुकी हैं, जबकि रवि की बुवाई भी बुरी तरह प्रभावित है। इसके बावजूद प्रशासन ने किसानों की पीड़ा को गंभीरता से नहीं लिया।
उन्होंने कहा, “अधिकारी आंशिक क्षति दिखाकर किसानों की समस्या को टालने की कोशिश कर रहे हैं, जिसे अब किसान बर्दाश्त नहीं करेगा। बैरिया विधानसभा में बड़ी संख्या में बटाईदार किसान हैं, जिनकी हालत सबसे अधिक खराब है। फसल बर्बाद होने से उनके सामने बच्चों की पढ़ाई, माता-पिता की दवाई और बेटियों की शादी तक का संकट खड़ा हो गया है।”
डॉ. सिंह ने कहा कि प्रभावित किसानों को प्रति हेक्टेयर ₹33,000 की आपदा राहत राशि दी जानी चाहिए। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि किसानों को उचित मुआवजा नहीं मिला तो किसानों के साथ मिलकर सड़क से सदन तक आंदोलन किया जाएगा।
उन्होंने कहा, “पंजाब और पश्चिम उत्तर प्रदेश का किसान अपने हक के लिए संघर्ष कर अधिकार पा रहा है, अब बलिया का किसान भी संघर्ष के रास्ते पर आगे बढ़ेगा।”

